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29 May 2015

मुझे प्रेमी से प्यार है

इस ब्लॉग का टाइटल कुछ अजीब लग रहा है, लेकिन इसका मतलब समलैंगिकता से बिल्कुल नहीं है. दरअसल फिल्म 'तनु वेड्स मनु 2' देखने के बाद से सोच रहा था कि कई दिन बाद फिल्म रिव्यू लिखूंगा. लेकिन इस फिल्म के बारे में इतना कुछ लिखा जा चुका है और इतना कुछ लिखा जा रहा है कि शायद मेरे लिखने के लिए जगह ना बचे. लेकिन फिर भी कुछ लिखने को दिल चाह रहा था. काफी समय बाद एक ऐसी फिल्म देखने को मिली जिसे देखते हुए चेहरे पर एक मुस्कुराहट कायम रहती है. अब रही बात रिव्यू की तो वो मैं सिर्फ फिल्म पर नहीं लिखना चाह रहा था. फिल्म को पसंद करने का मेरा सबसे बड़ा कारण था फिल्म के किरदार, तो मैनें सोचा कि क्यों ना एक ब्लॉग सिर्फ ऐसे किरदारों पर लिख दिया जाए. और हां इसी कारण मैंने लिखा कि मुझे प्रेमी से प्यार है. मनु शर्मा का किरदार मेरे लिए इस फिल्म को देखने का सबसे बड़ा कारण था.

मुझे नहीं पता कि कितने लोग ऐसा करते हैं लेकिन आमतौर पर मैं फिल्मों से, खासकर उनके किरदारों से एक जुड़ाव महसूस करने की कोशिश करता हूं. अमूमन ऐसा हो नहीं पाता क्योंकि जिंदगी में सबकुछ फिल्मी नहीं होता. लेकिन मनु शर्मा का किरदार एक ऐसा किरदार है जिससे मैं काफी जुड़ाव पाता हूं. हालांकि ना तो मैं उसकी तरह शादी शुदा हूं, और ना ही शादी करने वाला हूं. लेकिन फिर भी जिस निस्वार्थ प्रेम को मनु शर्मा ने दिखाया है मैं उसे पसंद करता हूं. मैं पसंद करता हूं उस सादगी को जो सिर्फ लड़की के चेहरे पर मुस्कुराहट देखना चाहता है. फिल्म की पहली सीरीज तो आपको याद होगी ही. कैसे मनु शर्मा पूरी शिद्दत से तनुजा त्रिवेदी की पसंद से शादी कराना चाहता है. खुद के चेहरे पर जब भी हंसी लाने की कोशिश करता है आंखो से पानी निकालने में जरूर कामयाब होता है. कैसे वो छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखता है लेकिन छोटी से छोटी बात बोलने में भी घबराता है. दरअसल हम जिस सोच के साथ बड़े होते हैं वहां ये अजीब हो सकता है कि कोई लड़का ऐसा कैसे कर सकता है, लेकिन इसीलिए मुझे इससे जुड़ाव महसूस होता है. हमेशा खुद को किसी के सामने पेश कर देना आसान नहीं होता भले ही आप कई हजार शब्दों का जाल बुन सकते हों.

'तनु वेड्स मनु 2' में जब फिल्म के आखिर में मनु शर्मा आखिरी फेरे से पहले रुक जाता है वो तब भी नहीं कह पाता कि ये उससे नहीं होगा, जब तक कि उससे पूछा ना जाए. और माधवन के कैरेक्टर की यही खासियत है. वो जो कर रहा है सिर्फ इसलिए करे जा रहा है क्योंकि उसने कहा है कि वो ऐसा करेगा. जब माधवन मनु शर्मा के रूप में कहते हैं कि नहीं हो पा रहा है तो हर वो 'लड़का' जो अपनी जुबान के कारण दिल के राज दबाए रह जाता है खुद को उस आखिरी फेरे पर खड़ा पाता है जहां वो ये नहीं कह सकता कि उससे नहीं हो पाएगा. दरअसल फिल्म की तरह जिंदगी में भी कई ऐसे मोड़ आते हैं जहां हम उम्मीद करते हैं कि कोई हमें समझ लेगा क्योंकि हम चुपचाप उसे समझे जा रहे हैं. हम भी हर उस शख्स से उम्मीद लगा रखते हैं कि वो हमसे पूछेगा कि क्या हुआ शर्मा जी? जो हमारी नजरों में, हमारे दिल में बेहद खास होता है. 

फिल्म के निर्देशक आनंद एल राय को किसी इंसान के खासकर लड़कों के इमोशन से खेलना आता है. हमेशा ये इमोशन से खेलने वाली लाइन हम लड़कियों के लिए सुनते आए हैं लेकिन मैं ये लाइन सोच समझकर आनंद के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं. देसी भाषा का जो तड़का वो अपनी फिल्मों में लगाते हैं वो लाजवाब है. आनंद कि फिल्म में दोस्ती से लेकर प्रेमी तक का किरदार इतना मजबूत और सहज होता है कि हम उससे जुड़े बिना नहीं रह पाते. आनंद की किरदारों पर पकड़ याद दिलाने के लिए मैं उनकी फिल्म 'रांझणा' की बात भी करूंगा. कैसे धनुष जैसे एक हीरो को जो कि शायद किसी आम हिंदी फिल्म के लिए जमता ना हो उन्होंने फिल्म की जान बना दिया. इसमें पूरा योगदान धनुष की दमदार एक्टिंग को भी जाता है. लेकिन आनंद का काम लाजवाब है.

मुझे नहीं पता कि आपकी पसंद क्या है. लेकिन लड़के हमेशा मजबूत, फौलादी, एक मुक्के से चार-पांच को ढेर करने वाले, हैंडसम नहीं होते. लड़कों की एक बड़ी जमात है साहब जो अपनी भावनाएं अपने अंदर दबा कर रख जाती है. जिससे कहना हो उसे छोड़कर वो अपनी बात सारों से कह सकते हैं. जिसे चाहते हैं उसके लिए सबकुछ कर जाते हैं और ये सोचते हैं कि वो सब समझ रही है. जिनके लिए लड़की के साथ होना सिर्फ टहलना नहीं होता. लड़के भी रोते हैं, वो भी अपनी चाहत बताने में डरते हैं. लेकिन हां वो अपनी चाहत के लिए कुछ भी करने को तैयार होते हैं जिसमें दर्द उन्हें होगा और हार भी उनकी. लेकिन किसी और कि जीत से ज्यादा उन्हें एक खास चेहरे पर सिर्फ एक मुस्कुराहट की फिक्र होती है. 

तो इस बिरादरी को पर्दे पर लाने के शुक्रिया राय साहब. हां हम हमेशा रूखे और सीधी बात कहने वाले नहीं होते, ये दिखाने के लिए शुक्रिया. चाहत हममें भी होती है लेकिन इस चाहत को हम कह पाने में देर कर जाते हैं ये बताने का शुक्रिया. और सबसे बड़ी बात कि मनु शर्मा (तनु वेड्स मनु), कुंदन (रांझणा) अरूण (ये साली जिंदगी) ये ऐसे किरदार हैं या यूं कहें कि ये ऐसे प्रेमी हैं जो ये बताते हैं कि प्यार का मतलब सिर्फ पाना नहीं होता... और हां मुझे ऐसे प्रेमी से प्यार है.

5 comments:

  1. लिखने का तरीका शानदार..:)

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    1. शुक्रिया, ऐसे कमेंट ही लिखने के लिए प्रेरित करते हैं...

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  2. बहुत अच्छे !

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    1. शुक्रिया यार... कोशिश करूंगा ऐसे ही लिखते रहने की...

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