पृष्ठ

18 Dec 2014

क्या उन्हें बदले का मतलब भी पता था?

तुम मर चुके हो, दरअसल मार दिए गए हो... लेकिन फिर भी तुम्हारे लिए मैं ये लिख रहा हूं. आज शायद तुम्हारे लिए किसी ने नहीं लिखा लेकिन मैं लिख रहा हूं. तुम वही हो ना गोलियां बरसाने वाले, खुद को बम से उड़ाने वाले. तुम वही हो जो किसी को भी मार सकते हो, तुम वही हो जो हर काम उस नेक इरादे से करते हो जिसमें तुम्हें एक बेहतर दुनिया बनानी है. तुम खुद को आजाद करना चाहते हो. तुम सच में बड़े हिम्मती हो. क्योंकि मेरे हाथ तो अब तक उन तस्वीरों को याद करके कांप रहे हैं. स्कूल वो छलनी दीवार देख कर में स्तब्ध रह गया. कितनी गोलियां चलाई होंगी तुमने? कितनों को मारना चाहा होगा. वो खून से सनी जमीन देखकर भी मैं शून्य हो गया था लेकिन तुम्हे तो कोई फर्क नहीं पड़ा ना! 

तुम यहां हो नहीं तो मेरे सवालों का जवाब भी नहीं दे सकते. लेकिन तुम जहां हो वहां ये बच्चे भी पहुंच चुके हैं. मरने के बाद अगर कोई दुनिया है तो वहां तुम्हारा इनसे सामना हो रहा होगा. जब वहां एक साथ रहने में दिक्कत नहीं हो रही तो तुम्हें जमीन पर क्या दिक्कत थी. मैं तुमसे बहुत कुछ जानना चाहता हूं. ये भी कि क्या एक बार भी तुम्हारे हाथ नहीं कांपे जब वो मासूम तुम्हारे सामने खड़ा था. जो अपने मां-बाप के जोर से बोलने भर से कांप जाता था उसके शरीर को छलनी करते वक्त क्या कुछ महसूस नहीं हुआ? उन बच्चों ने तो सोचा कि तुम खेल खिलाने वाले हो, और तुमने खेल भी खिलाया लेकिन जिंदगी और मौत का. उन मासूंमों के चेहरे पर खौफ देखकर भी तुम्हें सकून नहीं मिला जो इस तरीके से उन्हें मौत दे दी. अरे जिस बदले की तुम बात करते हो, क्या उसे बदले का मतलब भी पता था?

तुम कौन सी दुनिया बनाना चाहते हो? ऐसी कौन सी दुनिया जहां कोई भी ना हो? बच्चों को मारकर तुम किसके लिए कल तैयार करने की बात करते हो? दुनिया में हर हत्या गलत है, और हर लड़ाई किसी ना किसी मकसद से लड़ी जाती है. पर इस लड़ाई में उसे क्यों शामिल कर लिया जिसे दुश्मनी का मतलब भी ना पता था. ये बच्चे किसी से लड़ते भी तो अगले ही पल उसकी बांहों में बाहें डाले नजर आते. जिसे तुमने गोलियों से छलनी कर दिया वो तो शरीर से खून का एक कतरा बहने पर ही घबरा जाता था. तुम्हें किसी और दुनिया को बनाने की जरूरत ही नहीं है, तुम तो खुद किसी और मिट्टी के बने हो.

लेकिन जरा ये भी बता दो कि जिन सवालों को तुम छोड़कर चले गए हो उनका जवाब कैसे दिया जाए. मेरे पास तो कोई जवाब नहीं है उस मां की सूनी आंखों का जो सिर्फ अपने बच्चे को तलाश रही है. कंधे पर बेटे का जनाजा लिए बाप के कंधो का भार भी मैं नहीं उठा सकता. क्या जवाब दूं उस बहन को जो अपने भाई के स्कूल से लौटने का इंतजार रही थी. और क्या कहूं उन दोस्तों से जो खेल के मैदान में अपने दोस्त की बारी पर उसकी राह देख रहे हैं. कैसे देखूं उन गलियों को जहां से एक-एक कर तीन जनाजे उठ रहे हैं. और क्या कहूं उस आवाम से जो तुमको सिर्फ और सिर्फ कोस रही है.

मुझे मालूम है कि तुम मेरे किसी सवाल का जवाब नहीं दोगे, जवाब ही देना होता तो खुद दे चुके होते. तुम्हारे पास इस बात का भी जवाब होता कि तुम इन्हें क्यों मार रहे हो. ये बताने भी किसी और को आगे ना आना पड़ता. लेकिन एक बात तो तय है कि जो बचे हैं उनको तो तुमने वही बना दिया जो हम तो कभी नहीं चाहते थे. अब वो सब भी खून के प्यासे हैं, वो भी तुम्हारी जान लेने पर अमादा हैं. जिन बच्चों को अच्छा इंसान बनाने का ख्वाब उनके मां-बाप ने देखा था वो या तो अब जिंदगी में डर कर जिएंगे या उनका बचपन ही खो चुका होगा. और इस सबके जिम्मेदार भी तुम हो. तुमसे और क्या शिकायत करूं, तुम तो यहां हो ही नहीं. पूरी दुनिया की नजर में शैतान हो तुम. लेकिन जहां भी हो तुम उस दुनिया में वो बच्चे भी तुम्हें मिलेंगे... जन्नत तो तुम्हें नसीब हो नहीं सकती, लेकिन सही गलत का फैसला होने से पहले जो भी समय मिले बस एक बार उन बच्चों की तरफ हाथ बढ़ा कर देखना, वो हाथ आगे बढ़ा देंगे यही सोचकर कि शायद तुम उन्हें वापस उनके घर ले जाओगे. सातवें आसमान के उपर भी उनकी वो मासूमियत बरकरार रहेगी...

तुम भले ही मेरे किसी भी सवाल का जवाब मत दो. पर एक बार जरूर उन मासूमों से पूछना कि बदला क्या होता है? पूछकर देखना कि उनमें से कितने कहते हैं कि बदला जान लेकर पूरा किया जाता है. उनकी तरफ मुस्कुरा कर जरूर देखना, खून से सना उनका चेहरा मुस्कुरा देगा क्योंकि वो बदला नहीं लेंगे, वो मासूम तो बस माफ करना जानते हैं. लेकिन ये जरूर याद रखना मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगा, उस स्कूल के बचे किसी बच्चे से भी ये उम्मीद मत रखना. और ये तो जरूर जान लो कि अब उन्हें बदले का मतलब पता है. और शायद उनमें से कोई सही तरीके से तुम्हें वो मतलब समझा देगा. 

2 comments:

  1. This is soo well expressed Utkarsh. True story of the present scenario. I hope it ends soon.
    The way you gave words to your emotions is exemplary!!

    ReplyDelete
  2. Wat an article utkarsh...so touching !

    ReplyDelete